//… मेरी कुछ क्षणिकाएं…//
//…मेरी कुछ क्षणिकाएं… //
(१)
यह कैसी संस्कृति ,
यह कैसा संस्कार…?
सत्ते के नशे में ,
बस दिखा रहे ख्वाब…!
जनता आभारी ,
वे प्रभारी
सुनकर भी ,
अनसुना कर दे
कौन है जनाब…?
प्रजातंत्र के
चौथे स्तंभ का ,
जिसके पास ,
कोई नहीं जवाब…!
(२)
सांसद हो,
विधायक हो ,
या हो सरपंच ।
कुछ इस तरह से
चलता उनका प्रपंच…
लगता है उनको ,
प्रत्येक मंच बना है ,
उनके लिए एक ,
राजनीतिक मंच ।
(३)
जिसे सामाजिक समस्याओं का ,
कोई सरोकार नहीं …!
जिसमें नहीं संवेदनाएं इनके प्रति ,
वो आदिवासियों की सरकार नहीं …!
जल ,जंगल , जमीन हमारी सदियों से ,
यह कोई सरकारी उपहार नही ।
भोले-भाले आदिवासियों का
यहां बर्बरता पूर्ण हो रहा शोषण
शासन का इससे कोई सरोकार नहीं ,
क्या यह है कोई नरसंहार नहीं…?
चिन्ता नेताम ” मन ”
नगर पंचायत डोंगरगांव (छ.ग.)