“मेरी किताब “पुष्प -सार” और मेरी दो बातें”
डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “
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स्पष्टतः कहने में हिचकिचाहट नहीं होनी चाहिए ! मेरी कविता संग्रह “ पुष्प -सार ” किताब छप चुकी है ! कुछ कविताओं और लेखनी के प्रकाशन से यह सोच लेना कि मैं भी कवि और लेखक के श्रेणी आ गया यह बात शायद ही किसीके गले ना उतरे और मैं भी इसे स्वीकार कभी नहीं कर सकता हूँ ! हालाँकि, लिखने की चाह मुझमें सदा रही है ! अधिकाशतः मेरा जीवन भारतीय सेना को समर्पित रहा ! उनदिनों भूले- बिसरे कभी- कभी कुछ लिख लेता था पर नहीं के बराबर ! लिखने का सफर मेरा सेवानिवृति के बाद प्रारंभ हुआ ! 2002 के बाद मेरी यह हॉबी बन गयी!
इस लेखनी को नया आयाम तब मिला जब मेरे बच्चों ने मेरे हाथों में कंप्युटर थमाया और मेरी लेखनी में चार -चाँद लग गए ! मेरी पुत्री आभा झा ने मुझे “ स्टोरीमिरर ” से जुडने के लिए कहा ! स्टोरी मिरर से प्रोत्साहन की बयार चली ! पहले उनलोगों ने मुझे “ लिटरेरी कर्नल ” के उपाधि से अलंकृत किया और बाद में मुझे “ आँथर ऑफ दी ईयर 2021” से नबाजा ! क्रमशः “ लिटरेरी ब्रिगड़िएर” और “लिटरेरी जनरल” की उपाधि मिली ! विश्व के और लिटरेरी संस्थानों ने मुझे पुरस्कृत किया ! उम्र के चौथे पड़ाव में प्रोत्साहन मुझे मिलने लगी !
मेरे लिखने में प्राणवायु का संचालन करने में मेरे फेसबूक मित्र का अतुलनीय योगदान है ! उनके प्रोत्साहन ,आशीष ,स्नेह ने मुझे इस लायक तो बनाया कि मैं आपलोगों के समक्ष अपने विचार और भावना को “ पुष्प -सार ” में प्रदर्शित कर सकूँ !
यह मेरा प्रथम प्रयास है ! यह प्रयास मुझे प्रशिक्षण देगी ! मैं मानता हूँ कि ना मैं कवि हूँ ना लेखक और ना साहित्यकार पर आपके आशीष ,प्यार ,स्नेह और प्रोत्साहन की मुझे दरकार है !
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आपका आजन्म विद्यार्थी
डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
डॉक्टर’स लेन
दुमका
झारखण्ड
भारत