मेरी क़लम से
आईना मुझसे अक़्सर ये सवाल करता है
अब इस घर मे कौन तेरा ख्याल करता है ।
कौन सुनता है भला चिखें तेरी नसीहतों की
क्यूँ वेबजह ही फ़िर तू ये ववाल करता है ।
उम्र ढल गई शबो-रोज़ जुगाड़ के ढलानों पर
जो मिला नही उसका तू क्या मलाल करता है ।
तकसीम हो के रह गया तु अपने औलादों में
वक्त भी तूझे अब टूकड़ों में इस्तेमाल करता है
सासों को है अब आखिरी नेमत का इंतज़ार
देखें खुदा किस दिन मुझे मालामाल करता है
-अजय प्रसाद 9006233052