मेरी कहानी पढ़कर
डूबते तैरते लफ्जों की रवानी पढ़कर
रात सोई ही नहीं मेरी कहानी पढ़कर
ज्ञान की बात में जो छोड़ गया दुनिया को
लौट आया है वही आँख का पानी पढ़कर
सामने श्याम ने नसीब में वियोग लिखा
समझ न पायी मगर राधिका रानी पढ़कर
श्वेत केशों में बुढ़ापे की अजब रौनक है
दौर ये आया है सदियों की जवानी पढ़कर
वो नयी दुनिया का पैगाम तो लायी थी मगर
जिंदगी चहकी कुछ किताबें पुरानी पढ़कर
दर्द हर युग में एक सा रहा तभी ‘संजय’
रो पड़ी जानकी रघुवर की निशानी पढ़कर