मेरी कहानी?? (भाग 4)
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शौक अलग पहचान बनाने की, मेरी गलतियों को और बढ़ावा देने लगी थी। मेरी दीदी की शादी के लिए लड़का देखा गया था मैंने उसे परखने के लिए facbook पर उससे chating किया और मुझें उससे बातें करना उसकी बातें सुनना उससे फ़्लर्ट करना अच्छा लगने लगा।?
शायद मेरी माँ ने सच ही कहा था लड़कियों को ज्यादा छूट नही देतें वरना ये अपनी मनमानी करने लगती है और मेंरे साथ भी यही हुआ मैं अपने संस्कारों को भूल चुकी थी यूँ कहूँ तो मैं उस बाहरी दुनिया मे इतनी मशगुल हो गयी थी कि अपने परिवार की ख़ुशियों के बारे में तक नही सोचती। ☹️☹️☹️
कॉलेज के first year में जो जुनून था पढ़ाई का अब third year तक बिल्कुल ही ख़त्म हो गया था। मैं बिल्कुल ही लापरवाह, बदतमीज़ और बदमिजाज हो गयी थी??
याद है मुझें जब मेरी वजह से मेरी बहन का रिश्ता टूटा था ??शायद लड़के वालो को किसी ने बताया था कि उसकी छोटी बहन इंजिनीरिंग करती है और घर से बाहर रहती है। ???
वो क्या है ना हमारे समाज में लड़कियां घर से बाहर जाकर पढ़ाई
करती है तो यह समाज उसे अच्छी लड़कियों की list से buycot कर देता हैं।??
फिर मुझें बेहद अफसोस हुआ अपनी की हुई गलतियों पर अपनी बिगडे हुए व्यवहार पर।????
और मैंने ठान लिया अपनी सारी की हुई गलतियों को सुधारूँगी।
फिर क्या था…….