Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Jun 2020 · 1 min read

मेरी कविता,

लिख न सका जो कह न सका,
कविता जिसका मैं हो न सका,
शब्दों अर्थों तक पहुंच कठिन,
और भाव भी अंतिम हो न सका,
दुख दर्द की क्या परिभाषा हो,
सोचो कलम की क्या भाषा हो,
जीवन का अंतिम सत्य कहाँ,
कवि से रखते क्या आशा हो,
कवि के दिल में कुछ भाव बनें,
आहत मन मस्तिष्क में घाव बनें,
बेचैन कलम फिर रह न सकी,
तब जाकर कविता में ताव बने,
कविता में कितना राग रचित हों,
धर्मों के नैतिक भाव खिचित हों,
शोषित पीड़ित के दुख दर्दों की,
कवि का सत्य विराग विदित हों,
कविता से बस इतना नाता है,
कविता ही तो भाग्य विधाता है,
जन का दुख दर्द बस अपना हो,
जन है ईश मुझे वही तो भाता है,

Language: Hindi
1 Like · 2 Comments · 425 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from अखिलेश 'अखिल'
View all
You may also like:
सच का सौदा
सच का सौदा
अरशद रसूल बदायूंनी
*मेरा विश्वास*
*मेरा विश्वास*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
" महक संदली "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
अगर कोई लक्ष्य पाना चाहते हो तो
अगर कोई लक्ष्य पाना चाहते हो तो
Sonam Puneet Dubey
इंसान
इंसान
विजय कुमार अग्रवाल
*नव-संसद की बढ़ा रहा है, शोभा शुभ सेंगोल (गीत)*
*नव-संसद की बढ़ा रहा है, शोभा शुभ सेंगोल (गीत)*
Ravi Prakash
3473🌷 *पूर्णिका* 🌷
3473🌷 *पूर्णिका* 🌷
Dr.Khedu Bharti
बिछड़ा हो खुद से
बिछड़ा हो खुद से
Dr fauzia Naseem shad
*बिरहा की रात*
*बिरहा की रात*
Pushpraj Anant
गिरमिटिया मजदूर
गिरमिटिया मजदूर
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
"दिल बेकरार रहेगा"
Dr. Kishan tandon kranti
एक उदास चेहरा जितनी नकारात्मकता फैलाता है...
एक उदास चेहरा जितनी नकारात्मकता फैलाता है...
Ajit Kumar "Karn"
ख़ुदा बताया करती थी
ख़ुदा बताया करती थी
Madhuyanka Raj
नव रश्मियों में
नव रश्मियों में
surenderpal vaidya
राजे महाराजाओ की जागीर बदल दी हमने।
राजे महाराजाओ की जागीर बदल दी हमने।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
इज़ाजत लेकर जो दिल में आए
इज़ाजत लेकर जो दिल में आए
शेखर सिंह
जितना मिला है उतने में ही खुश रहो मेरे दोस्त
जितना मिला है उतने में ही खुश रहो मेरे दोस्त
कृष्णकांत गुर्जर
*
*"रक्षाबन्धन"* *"काँच की चूड़ियाँ"*
Radhakishan R. Mundhra
🙅कड़वा सच🙅
🙅कड़वा सच🙅
*प्रणय प्रभात*
ये
ये
Shweta Soni
झोपड़ियों से बांस खींचकर कैसे मैं झंडा लहराऊँ??
झोपड़ियों से बांस खींचकर कैसे मैं झंडा लहराऊँ??
दीपक झा रुद्रा
ये जो तुम कुछ कहते नहीं कमाल करते हो
ये जो तुम कुछ कहते नहीं कमाल करते हो
Ajay Mishra
और एक रात! मध्यरात्रि में एकाएक सारे पक्षी चहचहा उठे। गौवें
और एक रात! मध्यरात्रि में एकाएक सारे पक्षी चहचहा उठे। गौवें
पूर्वार्थ
Two Different Genders, Two Different Bodies And A Single Soul
Two Different Genders, Two Different Bodies And A Single Soul
Manisha Manjari
उसकी हिम्मत की दाद दी जाए
उसकी हिम्मत की दाद दी जाए
Neeraj Naveed
आचार्य शुक्ल की कविता सम्बन्धी मान्यताएं
आचार्य शुक्ल की कविता सम्बन्धी मान्यताएं
कवि रमेशराज
ईश्वर से बात
ईश्वर से बात
Rakesh Bahanwal
वृद्धावस्था
वृद्धावस्था
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
आसमाँ  इतना भी दूर नहीं -
आसमाँ इतना भी दूर नहीं -
Atul "Krishn"
शमशान घाट
शमशान घाट
Satish Srijan
Loading...