मेरी कविता मेरी माँ
माँ सुनहरे से जीवन का सुनहरा सा हिस्सा हो तुम,
माँ हरीभरी शाखाओं का हराभरा स्नेह हो तुम,
माँ तेरे प्यार का क्या कहना तेरे प्यार में मेरी माँ मेरी सारी दुनिया हो तुम,
माँ तेरे बिन कुछ नहीं हैं,
तू धरती, आकाश, पाताल, अंबर, मिलों तक निर्मल हो तुम,
माँ तू अंधकार से मेरे उजालों का सुनहरा सा हिस्सा हो तुम,