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24 Mar 2023 · 4 min read

“मेरी कविता का सफरनामा ”

“मेरी कविता का सफरनामा ”
( संस्मरण )
डॉ लक्ष्मण झा परिमल
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सीमित संसाधन
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सीमित संसाधन ,संकीर्ण परिवेश और मध्यम वर्गीय पारिवारिक संगरचनाओं के इर्द -गिर्द में बड़ा होता गया, पर सपनों की उड़ानों की सोच को कभी अपने से अलग नहीं कर पाया ! प्राथमिक पाठशाला और माध्यमिक स्कूल के क्षणों में लोगों को निहारा करता था ! संस्कृतिक कार्यक्रम ,संगीत और कविताओं का आनंद उठाया करता था ! नाटक और थियेटर को भी देखा करता था ! सिनेमा देखना और उसकी कहानियों को हूबहू अपने मित्रों को सुनना मेरा एक शौख था ! सर्कस और जादू को देखना मुझे अच्छा लगता था ! कॉलेज की जिंदगी में मुझे कुछ करने का अवसर मिला और इन सारे चीजों का मुझमें कुछ ना कुछ प्रभाव पड़ता गया !
मिलिटरी सेवा
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यदा -कदा मिलिटरी सेवाओं ने भी मुझे अवसर दिया ! लोगों को देखना, उनका अनुकरण करना और उनकी अच्छाइयों को अपने हृदय में बिठाने की ललक ने बहुत कुछ सीखने के अंदाज को जन्म दिया ! चिकित्सा कॉर्पस की व्यस्तता के बावजूद भी अपनी पढ़ाई करना ,विभिन्य प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी करना और बच्चों को पढ़ाना मेरी पूजा थी ! सांस्कृतिक कार्यक्रम ,नाटक ,संगीत और धार्मिक अनुष्ठानों में मैं हमेशा भाग लेता था ! बस यह इच्छा रहती थी कि जब कभी भी ,कहीं भी चर्चा हो तो लोग सकारात्मक मेरी चर्चा अवश्य करें !
लेखनी
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मेरी सेवानिवृति 30 वर्षों के बाद सन 2002 में हो गई ! यह सेवा निवृति को मैंने अपने जीवन का मध्यांतर माना ! दूर दराज़ पर्वतीय हेल्थ सेंटर में चिकित्सा पदाधिकारी की नियुक्ति मिल गई !अपना क्लिनिक अपने शहर में हो गया ! व्यस्तता के बावजूद मेरी लेखनी आवाध गति से चल पड़ी ! 2013 तक मेरे सनिध्य में मेरी फाउन्टन कलम ,ब्लैक स्याही और और कॉपी का ही सिर्फ साथ था पर कंप्युटर की विधा 2014 से उनसब के अतिरिक्त मुझमें समाहित हो गई ! इस नवीन विधा को जोड़ने में मेरे बच्चों ने मेरा साथ दिया !
स्टोरीमिरर
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इसी क्रम में मैं स्टोरीमिरर साहित्यिक संगठन से जुड़ गया ! मेरी कवितायें प्रकाशित होने लगी ! मुझे ऑथर ऑफ द विक से कई बार नवाज़ा गया ! ऑथर ऑफ द ईयर 2021 से पुरस्कृत किया गया ! मुझे लिटरेरी कर्नल भी बनाया गया और 2022 के लिए ऑथर ऑफ द ईयर नामित किया गया ! अन्तराष्ट्रिय संगठनों ने भी मुझे प्रशस्ति पत्र दिया ! फिलहाल 2022 में मेरी कविता संग्रह “ पुष्प -सार” स्टोररी मिरर के सौजन्य से प्रकाशित हुई ! अपनी सारी गतिविधिओं को करते हुए साहित्य की उपासना का सफर जारी रहा !
पुस्तक विमोचन
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मेरी कविता संग्रह “ पुष्प -सार ” का विमोचन ऑनलाइन मुंबई स्टोरीमिरर के तत्वाधान में हो चुका था और कई विभिन्य रंगमंच से इसकी मार्केटिंग भी शुरू हो गई थी ! मैं वस्तुतः भाग्यशाली हूँ कि मेरी बेटी सुश्री आभा झा ने एडिटिंग ,भूमिका और कवर चयन में अपना योगदान दिया ! वह बार -बार मुझे कहती थी-
“ आप दुमका में भी अपनी कविता संग्रह “ पुष्प -सार” का विमोचन करबा लें !”
कई स्थानीय पत्रकारों से बातें की ! सबने अश्वासन दिया !
दुमका साहित्यिक उत्सव
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इसी बीच में “दुमका साहित्यिक उत्सव और पुस्तक मेला 18. मार्च 2023 से 19. मार्च 2023”
जिला प्रशासन दुमका के तत्वाधान में “दुमका स्टेट लाइब्रेरी लिटरचर फेस्टिवल 2023” का आयोजन निश्चित हुआ ! नव निर्मित विशाल कन्वेन्शनल भवन करहलबिल ,दुमका में मनाने का कार्यक्रम बना ! इस अनोखे भवन को देखने की लालसा घर कर गई थी ! इसी वर्ष इसका निर्माण हुया है ! इसे स्वर्ग कहें तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी ! यह भवन बनने से दुमका उपराजधानी की शान में चार चाँद लग गए !
एतिहासिक क्षण
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इस एतिहासिक क्षण को मैं खोना नहीं चाहता था ! भारत के महान लेखक और साहित्यकार दुमका में पधारे थे और बहुत से महान व्यक्ति वीडियो कॉन्फरेंसिंग से जुड़े थे ! यह मेरा संयोग था कि मैंने अपनी कविता संग्रह “ पुष्प -सार ” की कुछ प्रतियाँ वहाँ के बुक स्टॉल में लगा दी ! सबने मुझे स्वागत किया ! सभागार में लोगों ने मुझे अतिथि के साथ बैठाया ! हालाँकि इस मंच की व्यवस्था सुनियोजित थी ! यह तो मेरा भाग्य था कि दुमका के उपयुक्त श्री रवि शंकर शुक्ला भारतीय प्रशासनिक सेवा ने स्वयं आकर मेरा हाल पूछा ,-
“ कैसा प्रोग्राम लग रहा है ?”
मैंने प्रणाम किया और कहा ,–“ श्रीमान भव्य !”
यह आयोजन इनके ही नेतृत्व में हो रहा था ! मैंने झट अपना प्रस्ताव भी रखा डाला ,–
“ सर ,मैं भी अपनी कविता सुनना चाहता हूँ ! क्या मुझे अवसर मिलेगा ?”
“ ठीक है ,शाम 6 बजे के बाद !”- उन्होंने कहा !
कविता पाठ और पुस्तक विमोचन
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मैंने अपनी किताब उपयुक्त श्री रवि शंकर शुक्ला भारतीय प्रशासनिक सेवा को भी समर्पित किया ! उनकी सकारात्मक भंगिमा को मैंने पहचाना भी ! ठीक शाम 6 बजे मुझे स्टेज पर आमंत्रित किया गया और मैंने अपनी कविता संग्रह “ पुष्प -सार ”का प्रोमोशन किया ! अपनी पुस्तक की एक कविता को भी मंच पर विमोचन किया ! लोगों ने मुझे मेरी कविता और मेरी पुस्तक की सराहना की ! लोग ने तालियों से मुझे प्रोत्साहित किया ! वस्तुतः यह मेरा एक एतिहासिक दिन था और “मेरी कविता का सफरनामा”!!
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डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “
साउन्ड हेल्थ क्लिनिक
एस 0 पी 0 कॉलेज रोड
दुमका
झारखंड
भारत
24.03.2023

Language: Hindi
235 Views

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