मेरी कविताएं
मेरी कविताएं
दिशाहीन, किंतु
भावपरक हैं,
इनमें न तो गेयता है,
और न ही
कवि-सी पैनी दृष्टि,
सिर्फ शब्दों का
लबादा ओढ़े
मेरी कविताएं
दिग्भ्रमित और
संप्रेषण के अभाव में
स्वयं को लाचार-सी
महसूस करती हैं।
मेरी कविताओं में
न मां की पीड़ा है
न प्रकृति-वर्णन,
मेरी कविताएं
उन अनछूए
अहसासों को
बयां करती हैं
जिन्हें, मैंने
अपने अल्प-काल में
खुद देखा और
खुद भोगा है।
मैं इन अनछुए
अहसासों को
सबके साथ
बांटना चाहता हूं।
मगर मेरी कविताएं
पर कटे पंछी
की तरह
सिर्फ कागजों में ही
फड़फड़ाती रहती हैं।