Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Jan 2024 · 1 min read

मेरी कलम से…

मेरी कलम से…
आनन्द कुमार

मुहब्बत की दुनिया के सलीके बदल गये,
चाहते, रस्मों व अंदाज के तरीके बदल गये।
इम्तेहान के ढंग नहीं मायने बदल गए,
वफा वे खुद करते नहीं, उनकी उम्मीदें बदल गए।
अजीब रस्म है मियां इस मुहब्बतें दर्द का,
मैं वही रहा, पर वो न जाने कब बदल गये।

246 Views

You may also like these posts

उसे दुःख होगा
उसे दुःख होगा
Rajender Kumar Miraaj
ये अल्लाह मुझे पता नहीं
ये अल्लाह मुझे पता नहीं
Shinde Poonam
तेरे कहने का अंदाज ये आवाज दे जाती है ।
तेरे कहने का अंदाज ये आवाज दे जाती है ।
Diwakar Mahto
मुस्कुराहटें
मुस्कुराहटें
देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत'
तुम नहीं बदले___
तुम नहीं बदले___
Rajesh vyas
23/43.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/43.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
तुझे स्पर्श न कर पाई
तुझे स्पर्श न कर पाई
Dr fauzia Naseem shad
संस्कारों को भूल रहे हैं
संस्कारों को भूल रहे हैं
VINOD CHAUHAN
सफाई इस तरह कुछ मुझसे दिए जा रहे हो।
सफाई इस तरह कुछ मुझसे दिए जा रहे हो।
Manoj Mahato
नवचेतना
नवचेतना
संजीवनी गुप्ता
#जय_महाकाल।
#जय_महाकाल।
*प्रणय*
****मतदान करो****
****मतदान करो****
Kavita Chouhan
नववर्ष का नव उल्लास
नववर्ष का नव उल्लास
Lovi Mishra
रमेशराज के विरोधरस दोहे
रमेशराज के विरोधरस दोहे
कवि रमेशराज
गुरु सर्व ज्ञानो का खजाना
गुरु सर्व ज्ञानो का खजाना
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
गम के बगैर
गम के बगैर
Swami Ganganiya
"पसीने का समीकरण"
Dr. Kishan tandon kranti
घरेलू हिंसा और संविधान
घरेलू हिंसा और संविधान
विजय कुमार अग्रवाल
खूबी
खूबी
Ruchi Sharma
खुदा भी बहुत चालबाजियाँ करता।
खुदा भी बहुत चालबाजियाँ करता।
Ashwini sharma
ग़ज़ल
ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
मेरे भी दिवाने है
मेरे भी दिवाने है
Pratibha Pandey
चीं-चीं करती गौरैया को, फिर से हमें बुलाना है।
चीं-चीं करती गौरैया को, फिर से हमें बुलाना है।
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
रामायण में भाभी
रामायण में भाभी "माँ" के समान और महाभारत में भाभी "पत्नी" के
शेखर सिंह
This generation was full of gorgeous smiles and sorrowful ey
This generation was full of gorgeous smiles and sorrowful ey
पूर्वार्थ
जिस घर में---
जिस घर में---
लक्ष्मी सिंह
हे ईश्वर
हे ईश्वर
Ashwani Kumar Jaiswal
-:मजबूर पिता:-
-:मजबूर पिता:-
उमेश बैरवा
बिती यादें
बिती यादें
Mansi Kadam
*घूम रहे जो रिश्वत लेकर, अपना काम कराने को (हिंदी गजल)*
*घूम रहे जो रिश्वत लेकर, अपना काम कराने को (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
Loading...