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7 Jul 2024 · 1 min read

मेरी कलम से…

मेरी कलम से…
आनन्द कुमार

दिल में बैठ कर बातें करने दो न,
कुछ-कुछ अपने अंदर उतरने दो न।
कितने अरमान हैं तुममें खो जाने की,
ऐ सुनो तुम अपना हो जाने दो न।

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