— मेरी कलम से —
बहुत दिन से एक प्रशन मन में घूमता सा रहता है, अब यह पता नही , कि वो जायज है या नही.?
जैसे ही देश में दिवाली का त्यौहार पास आता है, तो पार्टी के भगत जो हैं, उनके विचार बड़े जोर शोर के साथ फेस बुक पर, सोशल मीडिया पर देखने को, पढने को मिल जाता हैं, कि इस बार दिवाली पर चाईना की झालर का , उस के द्वारा जगमगाती रौशनी के व्यापार का बहिष्कार करेंगे.,देश में हमारे गरीब काश्तकार के द्वारा बनाये गए दिये से देश को जगमग करेंगे,..आप ने यह सब जरुर सुना होगा..पढ़ा होगा…
मैं अपने घर जब शाम को जाता हूँ, तो मैं यह देखता हूँ, कि जो पार्टी के भगत बने फिरते हैं, जो खुद पार्टी के नेता हैं जो सब से ज्यादा ढिंढोरा पिटते हैं, उनके घर पर चाईना की झालर बेहिसाब लगी हुई है, रात को उनका घर बेंइनतेहा जगमगाता है.,,.क्यूं ? क्या आप लोग को सिर्फ भौंकना आता है, करना भी सीखो, नही करना आता तो दुसरे लोगों की भावनाओ के साथ खिलवाड़ मत करो,
आप व्यापार ठप्प नही कर सकते, न ही आप में व्यापार को ठप्प करने की औकात है..इस लिए..मैं अपने कडवे शब्दों में अपनी बात रख रहा हूँ, यह दिवाली रौशनी का त्यौहार है, और जब आप खुद ही नही रोक पा रहे हो अपने घर, अपने संस्थान को जगमग करने से तो, दुसरे पर रोक लगाने का भी आपको हक़ नही है, न ही ऐसे ब्यान दो..कि लोग अपने मन को बाध्य कर के , अपनी भावनाओ का चीर हरण कर के बुझे दिल से दिवाली को मनाएं..
जिस का जैसा मन करेगा वो वैसा ही करेगा, चाईना छोडो, जिस भी चीज का जो इंसान आदी हो गया है, वो त्योह्हर पर उस चीज को लगाएगा ही लगाएगा,,दिए तो मात्र भारतीय संस्कृति की देना है, इस में अपनी मिटटी की खुशबू है, जो लोगों के दिलों से बाहर जा चुकी है..वो बस गरीब की झौपड़ी में ही जल सकते हैं, बड़ी बड़ी आलिशान कोठी..में नही…
सहमत हो अगर आप, तो अपने विचार जरुर दें..स्वागत है आप सब का..
सिंगर , कवि, लेखक, चित्रकार
अजीत कुमार तलवार