मेरी कमियां _ मेरी गलतियां _ गजल/ गीतिका
मेरी कमियां _ मेरी गलतियां बताते रहना।
त्रुटियां स्वयं की कहां देख पाता हूं मैं।।
होगा उपकार तुम्हारा मेरे मित्रो मुझ पर,
अपने मन की तो हर बार किए जाता हूं मैं।।
मानव हूं कहीं न कही भूल हो ही जाती होगी।
सुधार कर पाऊं उनमें पास तुम्हारे आता हूं मैं।।
सीखने की चाहत हर बार रही है मेरी।
तुम्हारे ही सुझाव से नया सीख पाता हूं मैं।।
यह दोस्ती न तोड़ना_ साथ मुझे जोड़ना।
तुम्हारे ही साथ तो दौड़ना चाहता हूं मैं।।
नफ़रत नहीं सराफत से गुजरे जिंदगी।
सादगी _ संजीदकी से जीना चाहता हूं मैं।।
राजेश व्यास अनुनय