मेरी उम्र को जो नजर लगी
मेरी उम्र को जो नजर लगी
फिर जिने की जो लत लगी
बीत गयी जो आधी,आधी जो साये मे बची
मेरा दुश्मन भी सामने ना आये,तेरी ही हरकत लगी
उड़ान पर था मै,मेरी डोर पर जो पेंच लगी
ऐसा क्या रहा जो तुझे यूँ नफरत लगी
तमन्ना और उडने को तेरी नफरत से जगी
तेरी हरकत मे हरकत करने की मेरी आदत लगी
मेरा जुर्म रहा जो तुझसे तालुकात हुआ
तेरा यूँ मुहँ मोड जाना ,दुआँओ सी बरकत लगी
तेरा हौंसला देख तब मेरी जिंदगी जगी
दुआ दूँ या मार दूँ ,तेरे हौंसले को मेरी हसरत लगी
पहली बाजी तू खेल दूसरी बाजी मेरी रही
मार पाया तो ठीक वरना ये भी एक शर्त लगी
हर काबे हर मस्जिद पर दुआ मांगोगे
या अल्लाह! रहम् कर देख पिछे मौत लगी
‘राव’ उसकी हरकत मे हरकत करने की जो आदत लगी
मेरी उम्र को जो नजर लगी फिर जीने की जो लत लगी