मेरी आँखों में
झलक तुम्हारी पाकर मेरी आँखों में।
दाम जौहरी आँक रहे हैं लाखों में।
धरती पर कुछ लोग फरिश्ते होते हैं
कंकड़ को हीरा लाक़ीमत करते हैं।
रिश्तों में कुछ ऐसे रिश्ते होते हैं
दामन में खुशियों की किरणें भरते हैं।
गम के साये खूब सिसकते रोते हैं
इस जगमग में जल जाने से डरते हैं।
उस चकोर पर चाँद बहकते होते हैं
फिर सपनों का फ़लक सजाया करते हैं।
जीवन खेती फसल चाँदनी वो दी है
पूनम ने दो चाँद सजाकर तांखों में।
वे आँखें भी रत्न कीमती होती हैं
जिन्हें परख होती है असली हीरों की।
उन आँखों के आँसू सच्चे मोती हैं
जिन्हें रुलाती आह परायी पीरों की।
वे आँखें तो सपनो वाली होती हैं
जिनमें थाह नहीं तेरी तस्वीरों की।
अम्बर की आँखों में कुदरत होती है
इन आँखों में, तुम रानी कश्मीरों की।
रब ने मणियाँ पलकों तले पिरो दी हैं
तुम सी प्यारी मूरत भरकर आँखों में।
संजय नारायण