मेरी अभिलाषा
तात अब मैं भी स्कूल जाऊंगा
छोड़ के अपनी माँ की गोद, स्कूल में दौड़ लगाउँगा,
माँ ने मुझको आधार दिया, तुमने मुझको अभिमान दिया
इन सबको ही पाकर अब, शिक्षा को मैं अपनाऊंगा,
तात अब मैं भी स्कूल जाऊंगा
जीवन के हर एक रंगों से, खुद की तस्वीर सजाऊंगा,
रंग, जाति और धर्म, द्वेष इनको न खुद में समाऊंगा
है एक छोटी सी अभिलाषा, लिख लूँ खुद की एक परिभाषा ।
।। आकाशवाणी ।।