मेरा होकर मिलो
मेरा होकर मिलो
भूल भूला, सपने सॅंजोकर मिलो,
मुझसे मिलो, मेरा होकर मिलो।
तहेदिल वफ़ा की उम्मीद पाले हैं,
दाग दिल के सनम धोकर मिलो।
जमाना तो हर हालात पर तोड़ा है,
मोहब्बत की मोती पिरोकर मिलो।
अरमानों का बाग बंजर सा पड़ा है,
ख्वाहिशों के ख्वाब बोकर मिलो।
खैरियत तो अंजाने भी पुछ बैठते हैं,
समर्पण सिंधु खुदको डूबोकर मिलो।
हुजूम में शरिक होना फितरत नहीं,
चाह में सारे विकल्प खोकर मिलो।
अपनों से अभिनय कैसा ‘मधुकर’
दर्द है सीने में हर्ज क्या रोकर मिलो।