मेरा हीरा
मेरा हीरा
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आज वर्षों बाद मेरी बेटी मुस्कराई थी।उसकी मुस्कराहट देख मैं अपना दर्द भूल गया।
पिछले वर्ष से जबसे मैंनें बीमारी से चारपाई पकड़ी है,मेरी बेटी सीमा ने बहुत हिम्मत से सब कुछ बहुत अच्छे से सँभाला है।मेरी बीमारी से जहाँ आय का कोई रास्ता न बचा था,तब सीमा ने पढाई के साथ साथ टयूशन भी शुरु कर दिया था। अपनी माँ को घर पर ही सिलाई का काम शुरु कराया ,हालांकि सिलाई से घर का खर्च नहीं निकलता था,फिर भी कुछ आय तो हो ही जाती थी।दूसरे उसकी माँ भी व्यस्तता के कारण उलझनों से कुछ न कुछ बची ही रहती थी।
बेटी की हिम्मत और अथक मेहनत से शायद भगवान को हम सब पर दया आ गई।सीमा को स्वास्थ्य विभाग में संविदा पर नौकरी मिल गयी।ये ईश्वर की ही कृपा थी कि बिना किसी सिफारिश या रिश्वत के उसे ये अवसर मिला।
आज जब वो ट्यूशन से लौटी तो मेरे गले लगकर रो पड़ी ,अचानक उसके इस तरह के रूदन से मैं किसी अनहोनी की आशंका से काँप गया,उसकी माँ बेटी के आँसू देख पागल सी हो उठी।
मैनें उसके सिर पर हाथ फेरा और रोने का कारण पूछा तो उसनें आँसू पोंछते हुए बताया -पापा!ईश्वर सेे हमारा कष्ट देखा नहीं गया, तभी तो उसने मुझे नाउम्मीदी में भी मार्ग दे दिया।
उसके आँसू खुशी से रूक नहीं रहे थे।
हाँ बेटा!ईश्वर सबको देखता है और सहारा भी देता है।लेकिन मेरे लिए तो तू ही मेरा ईश्वर है,मेरा अनमोल हीरा।जिसका कद आज अपने पापा की नजरों में और ऊँचा हो गया है।
वह मेरे कंधे पर सिर रखकर सिसक उठी,मैं उसके सिर पर हाथ फेरता रहा जिससे उसके कष्टों का अहसास आँसुओं के साथ बह जाय।
उसकी माँ सिसकते हुए हाथ जोड़कर बार बार ईश्वर का धन्यवाद कर रही थी।
?सुधीर श्रीवास्तव