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2 May 2024 · 1 min read

मेरा हिंदी दिवस

मेरा हिंदी दिवस
——————–
खड़े द्वार पे संपादक जी
कहते कोई रचना कियो जी ।। 1।।

हिंदी दिवस मनाना है
पत्रिका ना हमें रोकना हैं ।।2।।

होती नहीं पूरी पत्रिका
बिना आपके, हो त्रासदीका।।3।।

गिड़गिड़ाए मान्यवर जी
इच्छा हमारी पूरी करो जी।।4।।

आवाज़ आती अंदर से तभी
नौकरानी दिनों से नहीं आई जी।।5।।

श्रीमतीजी की हैं ऐसी पुकार
ब्रह्माजी लांघ सके ना ये दीवार।।6।।

भीषण भविष्य जानके मेरा
संपादकजी हुए नौ दो ग्यारह ।।7।।

हात में लिए झाड़ू पोंछारा
कहा से लिखें रचना इस बारा।।8।।

दुःखी अंतःकरण हुए नाकारा
आज्ञा श्रीमती की कैसे जाए नकारा।।9।।

काम आई एक नई तकनीक
आवाज़ से हमने पूरा ये लिख डाला।।10।।

बर्तन, झाड़ू पोछा हुआ सब घर वारा
श्रीमतीजी का उतरा आसमान से पारा।।11।।

हिंदी दिवस मनाया हमने न्यारा
कहते “मानस” ऐसा संत न देखा प्यारा।।12।।

मंदार गांगल “मानस”

Language: Hindi
2 Likes · 37 Views
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