मेरा सनम
रक्त यूँ ही नहीं उबलता है
दिल मचलता कभी बहकता है
वो निगाहें कमाल लगती हैं
जिन निगाहों से क़त्ल करता है
इक दफ़ा जलने दे दहकने दे
इन लबों पे वो आग रखता है
उस कहानी में कुछ नहीं रक्खा
जो कहानी वो रोज कहता है।
बदजुबानी नहीं तो फ़िर क्या है
अपना कहता है फ़िर मुकरता है।
#बाग़ी