Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 May 2021 · 1 min read

-मेरा शौक, मेरी खुशियां

मुझे सिलाई मशीन से है बहुत प्यार,
वक्त मिलता तो मैं करती रहती कुछ नए आविष्कार,
होते हैं पुराने लिबास हमारे यादों की झुरमुट के प्रकार,
वैसे ही पुरानी साड़ी पुरानी होती है,, नहीं होती बेकार,
दे देती हूं मैं उनको अपने हुनर से नया आकार,
हमारी दादी -नानी भी रखती थीअपने पुराने वसन सार संभाल,

पहले मैंने पुरानी साड़ी में से एक सुंदर पोशाक बनाई थी,
सुंदर तरीके से सजाई ,सबको बहुत को बहुत पसंद आई थी,
एक दिन देख मुस्कुरा कर बोली मेरी बहु रानी…..
चाची मां !!मुझे भी है पुरानी साड़ी में से सुंदर पोशाक सिलवानी
मेरे मन को बहुत सुहाई उसकी वो स्नेह-से भरी वाणी
फिर !!
शौक था मुझे भी कुछ करने को नया लगाई अपनी कारस्तानी,
अलमारी में से पुरानी सुंदर साड़ी निकाली,
पोशाक सुंदर बनाने के खातिर लैस-जरी बाजार से मंगवाई,
मैं कुछ नया करने के लिए बेहद उत्साहित,
तो बहुरानी अनूठी पोशाक पहनने को बहुत लालायित,
तैयार हो गई जब बनकर वह पोशाक,
देखी मैंने उसके चेहरे पर खूबसूरत मुस्कुराहट,
वो खुशी झलकी जो बाजार की ड्रेस से भी नहीं पाई,
बहुत सुंदर एहसास हुआ जब मैंने पुरानी साड़ी में से सुंदर पोशाक बनाई,
कदकाठी थी हमारी एक समान मैंने भी वह ड्रेस अपने गात अटकाई,
लग रही ऐसे रहे जैसे बाजार ही अभी खरीद कर लाई।।
मैं खुशी का मौका कभी नहीं छोड़ती,
छोटी-सी खुशियों से मैं बड़ी सारी खुशियां मनाती।।
– सीमा गुप्ता,अलवर राजस्थान

Language: Hindi
2 Likes · 338 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
"काला पानी"
Dr. Kishan tandon kranti
दो शे'र
दो शे'र
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
आजाद पंछी
आजाद पंछी
Ritu Asooja
புறப்பாடு
புறப்பாடு
Shyam Sundar Subramanian
नारी के चरित्र पर
नारी के चरित्र पर
Dr fauzia Naseem shad
प्रतीक्षा
प्रतीक्षा
Dr.Priya Soni Khare
पहले प्रेम में चिट्ठी पत्री होती थी
पहले प्रेम में चिट्ठी पत्री होती थी
Shweta Soni
उपदेशों ही मूर्खाणां प्रकोपेच न च शांतय्
उपदेशों ही मूर्खाणां प्रकोपेच न च शांतय्
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
पितृ स्वरूपा,हे विधाता..!
पितृ स्वरूपा,हे विधाता..!
मनोज कर्ण
भारत वर्ष (शक्ति छन्द)
भारत वर्ष (शक्ति छन्द)
नाथ सोनांचली
तुम्हें बुरी लगती हैं मेरी बातें, मेरा हर सवाल,
तुम्हें बुरी लगती हैं मेरी बातें, मेरा हर सवाल,
पूर्वार्थ
जनैत छी हमर लिखबा सँ
जनैत छी हमर लिखबा सँ
DrLakshman Jha Parimal
नहीं आती कुछ भी समझ में तेरी कहानी जिंदगी
नहीं आती कुछ भी समझ में तेरी कहानी जिंदगी
gurudeenverma198
रंगों  की  बरसात की होली
रंगों की बरसात की होली
Vijay kumar Pandey
समस्या
समस्या
Neeraj Agarwal
भगतसिंह की क़लम
भगतसिंह की क़लम
Shekhar Chandra Mitra
समस्त वंदनीय, अभिनन्दनीय मातृशक्ति को अखंड सौभाग्य के प्रतीक
समस्त वंदनीय, अभिनन्दनीय मातृशक्ति को अखंड सौभाग्य के प्रतीक
*Author प्रणय प्रभात*
स्वयंभू
स्वयंभू
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
कितना
कितना
Santosh Shrivastava
"Always and Forever."
Manisha Manjari
सुरक्षित भविष्य
सुरक्षित भविष्य
Dr. Pradeep Kumar Sharma
---- विश्वगुरु ----
---- विश्वगुरु ----
सूरज राम आदित्य (Suraj Ram Aditya)
*दुराचारी का अक्सर अंत, अपने आप होता है (मुक्तक)*
*दुराचारी का अक्सर अंत, अपने आप होता है (मुक्तक)*
Ravi Prakash
तन पर तन के रंग का,
तन पर तन के रंग का,
sushil sarna
!! प्रार्थना !!
!! प्रार्थना !!
Chunnu Lal Gupta
संवेदनाएं
संवेदनाएं
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
राम तेरी माया
राम तेरी माया
Swami Ganganiya
जय माता दी 🙏
जय माता दी 🙏
Anil Mishra Prahari
कलयुगी धृतराष्ट्र
कलयुगी धृतराष्ट्र
Dr Parveen Thakur
बड़ा काफ़िर
बड़ा काफ़िर
हिमांशु Kulshrestha
Loading...