मेरा वतन
मेरा वतन, है मेरा अभिमान |
इस पर कुर्बा, मेरी जान ||
वंदन करूँ मैं इसका, सुबह व शाम |
भारतीय हूँ मैं, मिला ये वरदान ||
न कोई हिन्दू, न मुस्लिम यहाँ |
धर्मों की विभिन्नताएँ, है यहाँ ||
मेरा वतन, केवल मानवता सिखाये |
सद्भावना अपनाने पर, बल दिए जाये ||
इस पावन माटी में, जन्मे वीर हजार |
जिससे बढ़ता है, हम सबका उत्साह ||
सुनकर किस्से ऐसे महान, मन जोश से भरता |
जुबाँ से केवल, वन्दे मातरम् का स्वर गूँजता ||
यहाँ है बहती, केवल प्रेम की धारा |
द्वेष से कोसों, दूर सब रहे ||
हिल-मिलकर, सब त्योहार का गीत गाये |
ख़ुशी के रंग में, मिले और मिल जाये ||