मेरा वतन
मेरा वतन
ये धरती है प्रवीरों की
यहां चौड़ी छाती वीरों की ।
सम्राट अशोक , चंद्रगुप्त मौर्य जैसे
अखंड भारत के शेरों की ।।
यहां कण कण हीरा है
अंबर में उड़े चिड़िया सोने की ।
धरातल पर उगा हरा-भरा फसल है
निर्मल नीर बहे गंगा की ।।
दुनिया आज बोल रही है
मेरे देश की भाषा हिंदी को ।
मॉरीशस भी बोल रहा है
मीठी बोली भोजपुरी को ।।
मेरे देश का बच्चा-बच्चा खड़ा है
वतन पर जान लुटाने को ।
मेरे देश के कुछ नेता आतुर हैं
अपनी आर्थिक प्यास बुझाने को ।।
यहां की मां यें शेर पैदा करती हैं
अपने वतन की रक्षा करने को ।
फिर भी कुछ गद्दार पैदा होते हैं
अपना ही मुल्क मिटाने को ।।
ये धरती है प्रवीरों की
यहां चौड़ी छाती वीरों की ।
सम्राट अशोक , चंद्रगुप्त मौर्य जैसे
अखंड भारत के शेरों की ।।
युवा कवि / लेखक
( गोविन्द मौर्या – प्रेम जी )
सिद्धार्थ नगर , उत्तर प्रदेश