मेरा वतन मेरी जान
मेरा वतन मेरी जान
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मेरा वतन मेरी जान है।
वतन से मेरी पहचान है।
घर-घर मे लहरा तिरंगा,
बहती है घर-घर में गंगा,
हर मुख आई मुस्कान है।
मेरा वतन मेरी जान है।
विश्व पताका लहराई है,
भारतवर्ष में गहराई है,
गहरे दिल पर निशान हैं।
मेरा वतन मेरी जान है।
एकता में दिखे अनेकता,
मेरे देश की ये विशेषता,
बसता यही पर जहान है।
मेरा वतन मेरी जान हैं।
तन-मन-धन सदा वार दूँ,
अंतिम सांसें मैं नौछार दूँ,
हिंदुस्तान ये अभिमान है।
मेरा वतन मेरी जान है।
मनसीरत तेरा जनवासी,
हर जन्म यही अभिलाषी,
मेरा भारत सदा महान है।
मेरा वतन मेरी जान है।
मेरा वतन मेरी जान है।
वतन से मेरी पहचान है।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)