मेरा वजूद… मेरे ख्यालों की.. नन्हीं सी दुनिया है।
मेरा वजूद…
मेरे ख्यालों की..
नन्हीं सी दुनिया है।
जिसमे दिल नाम का…
एक छोटा सा नगर बसा हुआ है।
जिसकी हर गली हर मोड़ पर…
किसी अपने की याद बसी हुई है।
इस नन्हें से नगर के कण कण में मेरा प्यार छुपा है।
इस नगर की गली से गुज़रते…
आपकी एक याद मुझसे टकरा गई…
और साथ ही याद आई…
आपसे हुई छोटी सी, धुंधली सी…
मुलाकात।
याद आते ही…
आपसे मिलने को दिल चाहा।
मगर…
खुदा को शायद…
हमारा मिलना मन्जूर ना था।
पर क्या हुआ…
हम नही मिल सकते तो क्या..
मेरा ये ख़त…
मेरी चाहत, मेरी दुआयें और मेरा…
प्यार आप तक पहुंच ही देगा।
✍️✍️…दीप