Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Nov 2024 · 1 min read

मेरा मोल मेरे दुश्मन ने ही जाना है कि।

मेरा मोल मेरे दुश्मन ने ही जाना है कि।
कम से का काम कुछ सामान लेकर तो आया हैं।
दोस्त तो गिने चुने चार एक दो होते हैं
दुश्मनों का तो लगा साया है।
।।

8 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

*बचिए व्यर्थ विवाद से, उपजाता यह क्लेश (कुंडलिया)*
*बचिए व्यर्थ विवाद से, उपजाता यह क्लेश (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
मैं अश्वत्थ मैं अस्वस्थ
मैं अश्वत्थ मैं अस्वस्थ
Mandar Gangal
"खुद्दारी"
Dr. Kishan tandon kranti
😊आज का नारा😊
😊आज का नारा😊
*प्रणय*
दीवाली विशेष कविता
दीवाली विशेष कविता
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
शंकरलाल द्विवेदी द्वारा लिखित मुक्तक काव्य।
शंकरलाल द्विवेदी द्वारा लिखित मुक्तक काव्य।
Shankar lal Dwivedi (1941-81)
सफ़र में था
सफ़र में था
Mahesh Tiwari 'Ayan'
Sad shayri
Sad shayri
Surya Barman
शेर : तुझे कुछ याद भी है क्या मिरा उस रात में आना
शेर : तुझे कुछ याद भी है क्या मिरा उस रात में आना
Nakul Kumar
नानी का लालटेन
नानी का लालटेन
Shakuntla Shaku
ना जाने क्यों?
ना जाने क्यों?
Dr. Chandresh Kumar Chhatlani (डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी)
ग्रहों की चाल
ग्रहों की चाल
प्रदीप कुमार गुप्ता
तंत्र सब कारगर नहीं होते
तंत्र सब कारगर नहीं होते
Dr Archana Gupta
"वक्त"के भी अजीब किस्से हैं
नेताम आर सी
मेरी सबसे ज्यादा जरूरी चीज
मेरी सबसे ज्यादा जरूरी चीज
पूर्वार्थ
खिड़कियाँ -- कुछ खुलीं हैं अब भी - कुछ बरसों से बंद हैं
खिड़कियाँ -- कुछ खुलीं हैं अब भी - कुछ बरसों से बंद हैं
Atul "Krishn"
जिन्दगी नाम हैं
जिन्दगी नाम हैं
ललकार भारद्वाज
कोई काम हो तो बताना
कोई काम हो तो बताना
Shekhar Chandra Mitra
मौसम ए बहार क्या आया ,सभी गुल  सामने आने लगे हैं,
मौसम ए बहार क्या आया ,सभी गुल सामने आने लगे हैं,
Neelofar Khan
2911.*पूर्णिका*
2911.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
12) मुमकिन नहीं
12) मुमकिन नहीं
नेहा शर्मा 'नेह'
जय संविधान...✊🇮🇳
जय संविधान...✊🇮🇳
Srishty Bansal
निकले क्या पता,श्रीफल बहु दामाद
निकले क्या पता,श्रीफल बहु दामाद
RAMESH SHARMA
सद्विचार
सद्विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
दिल-ए-मज़बूर ।
दिल-ए-मज़बूर ।
Yash Tanha Shayar Hu
मन का सावन
मन का सावन
Pratibha Pandey
*अहमब्रह्मास्मि9*
*अहमब्रह्मास्मि9*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
चांद , क्यों गुमसुम सा बैठा है।
चांद , क्यों गुमसुम सा बैठा है।
Radha Bablu mishra
बचपन फिर लौट कर ना आया
बचपन फिर लौट कर ना आया
डॉ. एकान्त नेगी
सहानुभूति
सहानुभूति
Rambali Mishra
Loading...