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13 Jun 2021 · 1 min read

” मेरा मैं खुद पे मरता है “

कोई इसपे मरता है
कोई उसपे मरता है
सबकी ऐसी की तैसी
मेरा मैं खुद पे मरता है ,

कोई गोरे रंग पे मरता है
कोई गजब ढ़ंग पे मरता है
सबकी ऐसी की तैसी
मेरा मैं खुद पे मरता है ,

कोई ख़ास शख्स पे मरता है
कोई चेहरे के नक्श पे मरता है
सबकी ऐसी की तैसी
मेरा मैं खुद पे मरता है ,

कोई किसी की चाल पे मरता है
कोई किसी के हाल पे मरता है
सबकी ऐसी की तैसी
मेरा मैं खुद पे मरता है ,

कोई लंबे बाल पे मरता है
कोई लाल गाल पे मरता है
सबकी ऐसी की तैसी
मेरा मैं खुद पे मरता है ,

कोई मोहनी हँसी पे मरता है
कोई प्यारी सखी पे मरता है
सबकी ऐसी की तैसी
मेरा मैं खुद पे मरता है ,

कोई नज़ाकत पर मरता है
कोई नफ़ासत पर मरता है
सबकी ऐसी की तैसी
मेरा मैं खुद पे मरता है ,

कोई सुंदर पहनावे पर मरता है
कोई झूठे दिखावे पर मरता है
सबकी ऐसी की तैसी
मेरा मैं खुद पे मरता है ,

कोई पैसे वाली पर मरता है
कोई कमाने वाली पर मरता है
सबकी ऐसी की तैसी
मेरा मैं खुद पे मरता है ,

मन तो बस मन की सुनता है
जब देखो हर बात पे मरता है
मन की ऐसी की तैसी
मेरा मैं खुद पे मरता है ।

स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 08/06/2021 )

Language: Hindi
3 Likes · 2 Comments · 311 Views
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