मेरा मुल्क मेरी जान
हे मां सौगंध तेरे चरणों की तुझे बरबाद न होने देंगे
किसी भी कीमत पे तेरी अस्मत को नीलाम न होने देंगे
मैं आखिरी सांस तक हिफाजत करुंगा “गद्दारों” से
तुझे इस मतलबी सियासत का भी गुलाम न होने देंगे
माना कुछ लोग रोटियां सेंक रहे तेरी आवरू जला के
पर हम ये “चूल्हा” ज्यादा दिन तक जलने नहीं देंगे
खुश हो रही है सियासत मुल्क की पगड़ी को उछाल के
ये खुशी भी चेहरों पर ज्यादा दिन तक टिकने नहीं देंगे
बाबा,बापू,चाचा,तिलक,बोस और आजादी के क्रांतिकारियों
तुम्हारे सपनों के भारत को यूं ही विखरने नहीं देंगे
यहीं जिये यहीं मरेंगे ये मुल्क किसी के बाप का नहीं
लहू के आखिरी कतरे से भी माथे को तिलक लगा देंगे
नजरें उठा रहें हैं कुछ गद्दार सियासत की आड़ में
सुधर जाओ वर्ना तुम्हारे धड़ से सर को ही उड़ा देंगे
केसरिया हिंदू मांगे और हरा मांग रहा मुसलमान
पर हम तिरंगे के स्वरूप को खरोंच भी न आने देंगे
आबाद रहे मुल्क किलकारियां आंगन में गूंजती रहे
सर्बत्र न्यौछावर करेंगे पर तिरंगे को न झुकने देंगे
वेखॉफ शायर :-
? राहुल कुमार सागर ?
बदायूंनी
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