मेरा मन वृंदावन
।।मेरा मन वृंदावन ।।
मोहन मुरली तुम्हारी प्यारी।
सुध बिसराई मोरी सारी।
कान्हा-कान्हा जपूं निसदिन।
कृष्णा मेरा मन वृंदावन ।।
देखो गैयां खूब संवारी।
गूंजी कहीं बांसुरी न्यारी।
कान्हा-कान्हा जपूं निसदिन।
कृष्णा मेरा मन वृंदावन ।।
दूध-दहीं की बह रही धारी।
मखनी-मिश्री तो देखो प्यारी ।
कान्हा-कान्हा जपूं निसदिन ।
कृष्णा मेरा मन वृंदावन ।।
बांवरी तेरी मैं बनवारी।
भर दो अब तो दरस क्यारी।
कान्हा-कान्हा जपूं निसदिन ।
कृष्णा मेरा मन वृंदावन ।।
पहन के निकली सुंदर सारी।
निधि वन जाने की तैयारी ।
कान्हा-कान्हा जपूं निसदिन ।
कृष्णा मेरा मन वृंदावन ।।
पलक झपकूं ना डर की मारी।
छोड़ न देना मुझे गिरधारी।
कान्हा-कान्हा जपूं निसदिन ।
कृष्णा मेरा मन वृंदावन ।।
।।मुक्ता शर्मा ।।