मेरा मन बहुत भोला है
मेरा मन बहुत भोला है
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मेरा मन बहुत भोला है।
तुझ पर ही सनम डोला है।
कुछ भी तो नहीं मेरा है,
खाली ही लिया झोला है।
भावों से भरा सागर है,
तुम से दो शब्द बोला है।
प्यासा मन नहीं रह पाए,
मयखाना यहाँ खोला है।
पल भर दूर ना जाता है,
मनसीरत मस्त मौला है।
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सुखविन्द्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)