मेरा भी कुछ लिखने का मन करता है,
मेरा भी कुछ लिखने का मन करता है,
हालात खराब हैं कुछ भी कहने से डर लगता है।
सच को सच और झूठ को झूठ तो कह दूँ,
पर उसके बाद के सवालात से डर लगता है।
बहुत अपने भी रुसुआ हुए हैं इस फितरत से
दोस्तों के साथ हर मजाक से डर लगता है।
मैं खुद को बदलूं तो किस के लिए ‘मेवाती’
सबके चेहरे पर लिपटे दोहरे नकाब से डर लगता है।
यूँ तो डर से ही होता है हर काम जमाने में,
लिख दूँ, बहुत कुछ, पर अपनी औकात से डर लगता है।
दीपक मेवाती
दीपक मेवाती