मेरा भारत
मेरा भारत
मार्तण्ड सदृश चमको जग में
ये विश्वगुरु परिपाटी है।
हम दीन नहीं हम क्षीण नहीं
ये पूज्य देवरज माटी है।
स्वर्णिम अवसर अब प्राप्त हुआ
धर्म ध्वजा लहराती है।
भारत रत है नव विकास में
सम्मान भरा इस छाती में।
शत्रु नहीं सब मित्र हुए ,
अब शक्तिपूर्ण ये थाती है।
हम सत्य सनातन शाश्वत हैं,
ये संस्कृति सबको भाती है।
राम कृष्ण की जन्मभूमि है,
देवों से पूजी जाती है।
वेद-पुराण, रामायण गीता,
जग में गाई जाती है।।
हम दीन नहीं हम क्षीण नहीं,
ये विश्वगुरु परिपाटी है।
— अनुज कुमार पाण्डेय