मेरा भारत महान् (देशगान)
(‘पन्द्रह अगस्त छियानवे’ के लिए 1996 में रचित यह रचना चरण के पहले अक्षर पर केंद्रित है, जिससे पूरा देशगान ‘पन्द्रह अगस्त छियानवे’ बन रहा है।)
पर्वत हिमगिरि का आलिंगन पर सदा शक्ति का ध्यान रहे।
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न्याय मधुर आतिथ्य संस्कृति में सदैव परिधान रहे।
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द्रव्य कोष संचित उद्यम में तत्पर हर इंसान रहे।
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हरित क्रांति वन रक्षा कोई मरुस्थल न वीरान रहे।
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अक्षर ज्ञान प्रसार हो घर-घर कोई न अज्ञान रहे।
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गणना वर्ष साक्ष्य है हमको निर्धनता का भान रहे।
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स्थाई हो रोजगार और हर श्रम का सम्मान रहे।
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तन-मन-धन से राष्ट्र विकास का जन-जन में अरमान रहे।
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छिन्न-भिन्न न हो यह संस्कृति अस्मिता की पहचाान रहे।
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याद दिलाता रहे हमेशा हमको यह अभिमान रहे।
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नभ-जल-थल सीमा पर अपना ध्वज निर्भय गणमान्य रहे।
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वेदों से अभिमंत्रित मेरा भारतवर्ष महान् रहे।
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