**मेरा भारत उजड़ा देखा**
**मेरा भारत उजड़ा देखा**
**********************
मेरा भारत उजड़ा देखा,
होता टुकड़ा – टुकड़ा देखा।
मणिपुर भी आँखों के आगे,
पलभर में है जलता देखा।
हरियाणा को भी हमने तो,
दंगों में है लड़ता देखा।
रिश्वतखोरी की दल दल में,
धूमिल् पूरा मुखड़ा देखा।
तूफानों के जाने पर भी,
तरुवर जड़ से उखड़ा देखा।
नेता के कपटी हाथों से,
वोटर का हक मरता देखा।
हाकम भी ताकत में अंधा,
सिंहासन भी झुकता देखा।
सोनें की चिड़िया के घर में,
भृष्टों का दल चढ़ता देखा।
ईमानों के सीने चढ़ कर,
बेईमानों को बढ़ता देखा।
बरसातों के आने पर भी,
पानी का तल घटता देखा।
बेगानों से बचता आया,
अपनों से ही हरता देखा।
मनसीरत रखवाले हाथों,
टुकड़ों में तन बिकता देखा।
*********************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेडी राओ वाली (कैथल)