” मेरा भरोसा है तूं “
” मेरा भरोसा है तूं ”
बीमार हो जाऊं चाहे लेकिन घबराती नहीं
शरीर टूटता रहे चाहे लेकिन मैं रुकती नहीं
कोई भी चाहे परिस्थिति आए ठहरती नहीं
डरना किस बात का जब मेरा भरोसा है तूं ,
विपरीत परिस्थितियों में भी मैं चलती रहती
फल की चिंता किए बिना ही मेहनत करती
खुद में मस्त हूं ना किसी की परवाह करती
क्यों मैं पीछे हटूं राज जब मेरा भरोसा है तूं,
ईमानदारी से जीती सच का सदा साथ देती
अच्छी बातें सीख बुरी आदतों को त्याग देती
सत्कर्म करती हूं खुले चमन में उड़ना चाहती
क्यों घबराऊं मैं राज जब मेरा भरोसा है तूं,
प्रकृति के संग कविता लेख की मीनू शौकीन
सकारात्मकता की पूंजी है आपका विश्वास
भाड़ में जाए जाग सारा कतई गम नहीं है जी
खुशहाल है ये जिंदगी जब मेरा भरोसा है तूं।