मेरा बेटा मुझसे झूठ बोलता है
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मेरा बेटा कभी कभी मुझसे झूठ भी बोलता है
सच्ची बातों में कभी कभी चासनी भी घोलता है
जानता हूं मैं सच मगर पर ज्यादा नहीं सोचता
चलता है , क्योंकि अक्सर वो सच ही बोलता है
बचपन से आज तक दिल की गिरह खोलता है
कुछ बातें सच्ची तो कुछ बना कर भी बोलता है
झूठ न लगे कही सोच नाप तौल कर बोलता है
मुझको अच्छा लगे यही सोच के झूठ बोलता है
मैंने देखी है सपनों की उड़ान उसकी आंखों में
सपने सच करने की चाह में जरा तेज दौडता है
रोकता हूं मैं कभी अपनी बात मनवाने के लिए
मुझे मनाने के लिए कभी कभी झूठ बोलता है
करता था कोशिश उंगली पकड़ साथ चलने की
लड़खड़ाए न मेरे कदम अब मुझे थाम चलता है
दिल का टूकडा है मेरे पर दोस्त सा भी लगता है
ऐसा ही अगर बेटा हो तो थोड़ा झूठ भी चलता है
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© गौतम जैन ®