मेरा बिस्तर
तेरी याद का मारा बुलाता तुझको है मेरा बिस्तर
खूब तराशा सजाया तेरे गम ने मारा है मेरा बिस्तर
घर से निकलकर तो देख तेरी गैर मौजूदगी में जरा
दीवारों से बातें करता रहता यह प्यारा मेरा बिस्तर
फिर कभी काम नहीं आयेंगे ये मेरे आसुँ संभाललें
यादों के जंगल में आवाज देके पुकारा मेरा बिस्तर
गर सुनने को तैयार है तो सुन जरा ध्यान से सनम
वापिस आ तुझे दर्द में दिखेगा तुम्हारा मेरा बिस्तर
किसने लगाया मरहम वक़्त के सिवा यहाँ पर सुन
तेरे यादों के संग वक्त ही वक़्त गुजारा मेरा बिस्तर
फूलों की ख्वाईश मधुर मिल्न के साक्षी बनने की
देखा ना हो कभी भी ऐसा फिर नजारा मेरा बिस्तर
अशोक सपड़ा की कलम से दिल्ली से
9968237538