मेरा प्रेम
शब्दो के जोड तोड से
गणित की तरह
जो हल किया जाये
नही है वो प्रेम
उतार सकता है जो
खुदा के चेहरे से नकाब
वो मजबूत हाथ है प्रेम
जीती जा सकती है जिससे
बडी से बडी जंग
वो हथियार है प्रेम
किसी नदी की क्षीण रेखा नहीं
समुद्र का विस्तार है प्रेम
जो गुंजित कर सकती है
सारे ब्रहमाण्ड को
वो झंकार है प्रेम