“मेरा प्यार “
हो न पाए रात जब तारों से रौशन,
तो कुछ रौशनी उधार लिए आना।
जगमगाती चांदनी रात में जब मेरी,
याद आए तो”मेरा प्यार”लिए आना।।
♥️♥️♥️♥️♥️
रचना- पूर्णतः मौलिक एवं स्वरचित
निकेश कुमार ठाकुर
संप्रति- कटिहार (बिहार)
सं०-9534148597
हो न पाए रात जब तारों से रौशन,
तो कुछ रौशनी उधार लिए आना।
जगमगाती चांदनी रात में जब मेरी,
याद आए तो”मेरा प्यार”लिए आना।।
♥️♥️♥️♥️♥️
रचना- पूर्णतः मौलिक एवं स्वरचित
निकेश कुमार ठाकुर
संप्रति- कटिहार (बिहार)
सं०-9534148597