मेरा प्यार बनके आ जा
वो प्यार बनके आजा
तू बन के ख्वाब आजा
मेरा सरताज बन के आ जा
मैं ढूँढता हूँ सरे राह तुझ को
तू मेरी एक आह पर तो आ जा !!
हर नजर, हर वक्त , तेरी याद में
गुजर कर चला जाता है
मैं पकड़ना भी चाहूं उसको,
तो वो दगा दे कर भाग जाता है !!
इक सहारा है मेरे पास तेरी
यादो का , वो पिटारा मेरे साथ
साथ ही रह जाता है
मेरी जिन्दगी का बस इक तू
ही है सरोकार, ओ मेरे सरताज
बस तू, वो प्यार बनके आ जा !!
अजीत कुमार तलवार
मेरठ