Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Jun 2017 · 4 min read

मेरा पहला रक्तदान (संस्मरण)

दिसंबर २००८ की बात है…… उत्तर भारत की ठण्ड को तो आप सभी जानते ही हैं और वो भी दिसंबर की ठण्ड…… १० दिन बाद ही हमारे एंड टर्म (सेमेस्टर परीक्षा) शुरू होने वाले थे, तो रूम हीटर जलाकर, नरम-नरम रजाइयों में घुसकर कर हम पढने में मशगूल थे…… तभी फ़ोन की घंटी घनघना उठी… रजाई से बाहर निकलने का मन नहीं कर रहा था, पर घर में हम अकेले ही थे, तो फ़ोन हमें ही उठाना था… सर्दी इतनी ज्यादा थी कि रजाई से निकलने का दिल ही नहीं हुआ… सोचा अगर जरुरी फोन होगा तो दोबारा आएगा, तब उठा लेंगे….

हाँ जी वो जरुरी ही फ़ोन था… दोबारा घंटी घनघना उठी… मन मार के हम रजाई से बाहर आये… फोन उठाते ही उधर से आवाज़ आई कि मैं वर्मा अंकल बोल रहा हूँ…… हमने उन्हें अभिवादन किया तो जवाब में वो बस इतना ही कह पाए “बेटा अभी-अभी पता चला है कि आपका रक्त समूह AB + है, और आपकी आंटी का अभी-अभी ऑपेरेशन हुआ है…… रक्तश्राव काफी ज्यादा हो गया है… उन्हें रक्त की सख्त जरुरत है…… क्या आप हमारी मदद करोगी”…… इतना सुनते ही पहले तो हमारे होश ही उड़ गए और बिना कुछ सोचे समझे हमारे मुँह से हाँ निकल गया… हमारी बात सुनकर उन्हें थोड़ी तसल्ली हुई और हमें अस्पताल का पता बता कर, जल्दी आने का कहकर उन्होंने फ़ोन रख दिया…

रिसीवर रखते ही हमारा दिमाग उलझ सा गया, समझ में नहीं आ रहा था क्या करें……मन तो कह रहा था कि रक्तदान कर आओ, पर दिमाग कुछ और कह रहा था… एक तो पहले कभी रक्तदान किया नहीं था, ऊपर से परिक्षा सर पर, कमजोरी आ गई तो… फिर लगा कि पहले पापा से बात करते हैं, वो सही सलाह देंगे… पापा को फ़ोन लगाया तो पता चला उनकी कोई जरुरी मीटिंग चल रही है, जो और २ घंटे तक चलेगी…… अब तो निर्णय हमें ही लेना था…… आखिर कुछ देर सोच-विचार कर हमने रक्तदान का निर्णय ले ही लिया…… ढेर सारे उनी कपडे पहनकर हम जाने के लिए तैयार हो गए… पर साथ ही एक और समस्या भी थी, हमने अभी अभी स्कूटी चलाना सीखा था और कभी बाज़ार में ले कर भी नहीं गए थे…… अब क्या करें, कैसे जाएँ… पर हमारे पास और कोई रास्ता भी तो नहीं था…… बड़ी हिम्मत करके हमने अपना लाल रंग का प्लेज़र निकाला और निकल पड़े अस्पताल की ओर…… पता नहीं उस दिन कहाँ से इतनी हिम्मत आ गई, पहली बार हमने बिना डरे गाड़ी चलाई……

आज भी याद है हमें वो मंगलवार का दिन था…… मंगलवार को हमारा व्रत रहता है और उस दिन भी था…… सुबह से हमने कुछ खाया नहीं था… पर पता नहीं शरीर में बहुत सारी ताकत महसूस हो रही थी… अस्पताल पहुँचे तो देखा वर्मा अंकल बहुत परेशान थे… बात करने पर पता चला आंटी का बहुत सा खून बह गया था और उन्हे बचाने के लिए 4-5 यूनिट खून की जरुरत थी…… अंकल ने और भी लोगों को फ़ोन किया था… २-३ लोग आये भी हैं… अंकल ने मुझे धन्यवाद देकर बताया कि मुझे रक्तदान करने कहाँ जाना है…

अंकल के बताये कमरे में पहुंचे तो देखा वहाँ
२ लड़के और १ लड़की पहले से ही बैठे थे…… पूछने पर पता चला कि वो भी वहाँ रक्तदान करने आये हैं…… सुनकर अच्छा लगा और हिम्मत भी बंधी कि हम अकेले नहीं है… तभी डॉक्टर कमरे में आये और उन्होंने हम सभी पर एक सरसरी निगाह डाली… हम दोनों लड़कियों को देखकर आखिर उनसे रहा नहीं गया और पूछ ही बैठे कि क्या हम दोनों भी रक्तदान करने वाले हैं…… उनका जवाब सुनते ही हम दोनों ने पूरे आत्मविश्वास के साथ हामी भरी…

रक्तदान से पहले हमारे रक्त समूह की जाँच की गई और वजन नापा गया… और हमसे एक फॉर्म भी भरवाया गया…… इन सब औपचारिकता के बाद आई रक्तदान की बारी… सबसे पहले हम दोनों लड़कियां ही अन्दर गई…… हम दोनों को लेटने कहा गया…… और हमारी हथेलियों में टेनिस बॉल पकड़ा कर हमारे हाथ में सुई घुसा दी गई…… यहीं था इस कहानी का सबसे दर्दनाक पल…… हमें बचपन से ही सुई से बहुत डर लगता था और ८-९ साल की उम्र के बाद उस दिन तक हमने इसी डर के कारण सुई नहीं लगवाई थी… पर उस दिन हमने अपना मन पक्का कर लिया और हमेशा के लिए अपने उस डर से निजात पा ही गए…

करीब १५-२० मिनट तक हम वैसे ही लेटे थे और बोतल में जाते अपने लाल खून देखकर बहुत ही संतुष्टि मिल रही थी कि चलो हमारा खून भी किसी के काम तो आया… उस दिन हमारा एक बोतल खून निकाला गया…… उसके बाद हमें खाने के लिए फल और पीने के लिए जूस भी दिया गया…… थोड़ी देर वहाँ बैठने के बाद हम अंकल से मिले और उनसे मिलकर कहा कि अगर फिर से जरुरत हो तो हमें अवश्य बतायें…… फिर अपनी प्लेज़र चलाकर वापस घर आ गए……

घर में पापा हमारा ही इंतजार कर रहे थे……वर्मा अंकल ने फ़ोन पर ही उन्हें बताकर धन्यवाद दे दिया था… पापा ने हमें देखते ही गले से लगा लिया… पापा के कहे वो शब्द आज भी मुझे प्रेरणा देते हैं……”अदिति, मुझे तुम पर गर्व है बेटा”……

तो ये था हमारे पहले रक्तदान का अनुभव, जो भी बहुत ही सुखद था…… उसके बाद हमने कई बार और रक्तदान किया है… हाल में और भी कई बार इच्छा हुई रक्तदान की, पर मौका ही नहीं मिला… आप लोगों में से कई लोगों ने भी किया होगा रक्तदान, वो इसकी ख़ुशी जरुर महसूस करते होंगे… और जिन्होंने अभी तक नहीं किया है, उनसे मै यहीं कहना चाहूंगी कि एक बार रक्तदान करके जरुर देखिये… सही में रक्तदान महादान होता है… रक्तदान से बहुत ख़ुशी मिलती है… कोई शारीरिक कमजोरी नहीं आती है और ना ही ये असुरक्षित है अगर हम इस बात का ध्यान रखें कि सुई और बोतल हर बार नई उपयोग में लाई जाये…… तो अब की बार आप करेंगे ना रक्तदान………

लोधी डॉ. आशा ‘अदिति’
बैतूल

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 2 Comments · 675 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मार मुदई के रे... 2
मार मुदई के रे... 2
जय लगन कुमार हैप्पी
**तुझे ख़ुशी..मुझे गम **
**तुझे ख़ुशी..मुझे गम **
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
फितरत दुनिया की...
फितरत दुनिया की...
डॉ.सीमा अग्रवाल
*जीवन का आनन्द*
*जीवन का आनन्द*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
जो कि मैं आज लिख रहा हूँ
जो कि मैं आज लिख रहा हूँ
gurudeenverma198
प्रेम भरी नफरत
प्रेम भरी नफरत
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
वो छोटी सी खिड़की- अमूल्य रतन
वो छोटी सी खिड़की- अमूल्य रतन
Amulyaa Ratan
*मेरा विश्वास*
*मेरा विश्वास*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
एक भगाहा
एक भगाहा
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
भारतीय ग्रंथों में लिखा है- “गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुर
भारतीय ग्रंथों में लिखा है- “गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुर
डॉ. उमेशचन्द्र सिरसवारी
#मनमौजी_की_डायरी
#मनमौजी_की_डायरी
*प्रणय*
नशा-ए-दौलत तेरा कब तक साथ निभाएगा,
नशा-ए-दौलत तेरा कब तक साथ निभाएगा,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
अनुराग मेरे प्रति कभी मत दिखाओ,
अनुराग मेरे प्रति कभी मत दिखाओ,
Ajit Kumar "Karn"
छलियों का काम है छलना
छलियों का काम है छलना
©️ दामिनी नारायण सिंह
शिवरात्रि
शिवरात्रि
Madhu Shah
4436.*पूर्णिका*
4436.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
दिल में एहसास
दिल में एहसास
Dr fauzia Naseem shad
शीर्षक – निर्णय
शीर्षक – निर्णय
Sonam Puneet Dubey
छोटी कहानी- 'सोनम गुप्ता बेवफ़ा है' -प्रतिभा सुमन शर्मा
छोटी कहानी- 'सोनम गुप्ता बेवफ़ा है' -प्रतिभा सुमन शर्मा
Pratibhasharma
अपने सपनों के लिए
अपने सपनों के लिए
हिमांशु Kulshrestha
कहानी-
कहानी- "हाजरा का बुर्क़ा ढीला है"
Dr Tabassum Jahan
मन के द्वीप
मन के द्वीप
Dr.Archannaa Mishraa
*भारत माता की महिमा को, जी-भर गाते मोदी जी (हिंदी गजल)*
*भारत माता की महिमा को, जी-भर गाते मोदी जी (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
फिल्म तो सती-प्रथा,
फिल्म तो सती-प्रथा,
शेखर सिंह
"जोड़ो"
Dr. Kishan tandon kranti
राम के नाम को यूं ही सुरमन करें
राम के नाम को यूं ही सुरमन करें
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
कल में जीवन आस है ,
कल में जीवन आस है ,
sushil sarna
लाख कर कोशिश मगर
लाख कर कोशिश मगर
Chitra Bisht
सकारात्मक पुष्टि
सकारात्मक पुष्टि
पूर्वार्थ
काश कही ऐसा होता
काश कही ऐसा होता
Swami Ganganiya
Loading...