मेरा देश… सभी कलाओं में आगे…..
कला हमारे रग रग में भरी
ये भी एक संस्कृति जो
हमारे जीवन संग चली ।।
हमारे देशमें भिन्न भिन्न
कलाओं का संगम
जैसे समुद्रमें सभी नदियों का मिलन ।।
हर कला अपने रूपरगंमें
एक अलग अंदाजमें
उद्देश्य की धारा को बहावे ।।
अमृत चिंतन नाट्य रुपे
भावना के भाव से चकित करे
आनंदरुपी महोत्सव के संग चले ।।
ऐसा उत्तम नमूना कलाओ का
जो लय ताल और
सुरसंगम से जादु बिखेरे ।।
संगेमरमर का अविष्कार पाके
पावन भूमि की गाथा में प्रसारे ।।
कितनी कलाएं जिसका निरूपण
नामुमकिन सा लागे…
मेरा देश… सभी कलाओं में आगे ।।