मेरा दिल गुल से गुलिस्तां हो गया जी… !!
मेरा दिल गुल से गुलिस्तां हो गया जी,
जब से देखा है, तेरा हुस्न-ऐ-चमन,
दिल मेरा जम के मेहरबान हो गया जी !!
मेरा दिल गुल से गुलिस्तां हो गया जी..!!
ओ हसीना दीवानी जरा इतना बता,
ये दीदार-ऐ-जमाल कौन किया है नज़र,
जब से देखा है दीदार-ऐ-रुख ये तेरा,
तब से जाने-जां दिल जवां हो गया जी.. !
मेरा दिल गुल से गुलिस्तां हो गया जी..!!
तेरी नज़र-ऐ-इत्र जब मुझ पर पड़ी,
दिल तो पागल महकदान हो गया जी !
जब झुकाके पलके, नज़र मुस्कुरायी है,
दिल तो मदमस्त परवान हो गया जी !!
मेरा दिल गुल से गुलिस्तां हो गया जी..!!
आलम-ऐ-इश्क़ पर, क्या मैं कहुँ,
दिल तो गुलशन-ऐ-बागबान हो गया जी !
ज़ब से तीर-ऐ-नज़र से घायल हुआ है दिल,
रवि अदाओं का कदरदान हो गया जी.. !!
मेरा दिल गुल से गुलिस्तां हो गया जी..!!