मेरा था तारा …
मेरा था तारा …
यादों के बादल से
नैनों के काजल से
लहराते आँचल से
जिसने पुकारा
वो
मेरा था तारा
महकती फिजाओं से
परदेसी हवाओं से
बरसाती राहों से
जिसने पुकारा
वो
मेरा था तारा
सपनों के अम्बर से
खारे समंदर से
मन के बवंडर से
जिसने पुकारा
वो
मेरा था तारा
यादों के नीड से
महकते हुए चीड से
ख्वाबों की भीड़ से
जिसने पुकारा
वो
मेरा था तारा
व्योम के अनंत से
प्रेम के बसंत से
सृष्टि के दिगंत से
जिसने पुकारा
वो
मेरा था तारा
सुशील सरना