मेरा तो इश्क है वही, कि उसने ही किया नहीं।
गज़ल
1212/1212/1212/1212
मेरा तो इश्क है वही, कि उसने ही किया नहीं।
उसे न मुझसे प्यार है, तो मुझको भी गिला नहीं।1
खुदा समझ के मैंने उसकी बंदगी भी की मगर,
पता नहीं क्यों उसका भी सिला मुझे मिला नहीं।2
वो लोग कैसे, जाने क्या है तंगहाल जिंदगी,
कभी भी साथ दीन हीन जन के जो रहा नहीं।3
तमाम लोग हैं जो बस दुआ के बल पे जी रहे,
कि जिनको दर्द के लिए नसीब है दवा नहीं।4
जो पीर है गरीब की वो कैसे जान पायेगा,
फटी बिवाइयों का दर्द जिसने है सहा नहीं।5
ये मृत्यु लोक हैं यहां अमर कोई न हो सका,
वतन पे जो फिदा हुआ वो मर के भी मरा नहीं।6
वो ‘प्रेमी’ है नहीं जिसे हॅंसी खुशी ही चाहिए,
वो कैसा प्यार है अगर चे दर्दे दिल लिया नहीं।7
………✍️ सत्य कुमार प्रेमी