मेरा तन है संतापित है शापित शापित मन तेरा।
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मेरा तन है संतापित है शापित शापित मन तेरा।
प्रेम करेंगे हम लेकिन सह पाए न चितवन तेरा।
मेरा तन है संतापित…….
तुमको प्रेम न हो पाएगा मुझको होकर मिट जाएगा।
मेरा तन स्थूल देखकर मन चितवन पछताएगा।
मैं अभिशापित कभी न चाहुँ हो संतप्तित जीवन तेरा।
मेरा तन है संतापित है शापित शापित मन तेरा।
प्रेम करेंगे हम लेकिन सह पाए न चितवन तेरा।
मेरा तन है संतापित…….
जो यह नयन निहारे सूरज तो अंधियारा लाऊं कैसे।
मैं उजियारे से इस मन में घोर निराशा लाऊं कैसे।
कैसे भौरें घायल कर दूं कोमल कमल बदन तेरा।
मेरा तन है संतापित है शापित शापित मन तेरा।
प्रेम करेंगे हम लेकिन सह पाए न चितवन तेरा।
मेरा तन है संतापित…….
एक धवल की अभिलाषा तन तन्मित प्रेमी का छूना।
और गीत भी चाहे आखर वर्णित प्रेमी का छूना।
है भयानक दृश्य मेरे तन से संयोगित तन तेरा।
मेरा तन है संतापित है शापित शापित मन तेरा।
प्रेम करेंगे हम लेकिन सह पाए न चितवन तेरा।
मेरा तन है संतापित…….
©®दीपक झा “रुद्रा”