वो दोस्त मेरा…!!
उस शख्स की शख्सियत क्या बताऊ तुम्हें……
मेरी दोस्ती का अनमोल नगीना है वो,
उसके लिए चेहरा पल में निखर जाता हैl
यादों में हरपल रहता है, दिलकश नजर आता हैll
याद है हर लम्हा जो साथ बिताया करते थे,
कभी उसके लिए कभी उसके साथ, रोकर हस जाया करते थे l
कुछ तो याराना था हममे,
वो यूँ ही नहीं भीड़ता था, मेरे लिए दुनिया से…….
उसकी एक मुस्कुराहट के लिए कई सदके उठाया करते थे,
उसकी आँखों का सुरूर ऐसा था, जिसे देख हम सारे गम भूल जाया करते थे….l
मुझे याद है ज़ब भी मै रूठ जाया करता था,
कोने की लास्ट बैंच पे मुझे मनाया करता था, मेरे लिए गुनगुनाया करता था…. !!
बेखबर थे उस शख्स से, वो याद बहुत आता है,
रोते को हंसाना बहुत खूब वो जानता था,
टीचर की स्माइल को भी मुद्दा बना दिया करता था,
दिन बीत गए कैसे न जाने,
ज़ब हम मिलके खिलखिलाया करते थे ll
एक दिन की बेपरवाही भी याद है मुझे,
ज़ब हॉस्टल मै बेवक़्त घुस जाया करते थे,
वार्डन की आहट सुनते ही,
कोई पलंग के निचे, कोई बाथरूम मै घुस जाया करते थे ll
एक बंदी थी क्लास में जिसके नाम से हम उसे चिढ़ाया करते थे,
उसे देख के वो मंद -मंद मुस्कुराया करता था,
और चुपके से मुझे, तेरी भाभी है कहके बताया करता था,
जाने क्या है उसमे वो मुझे हर पल याद आया करता हैll
वो मुझे ना जाने कितने ही नामों से पुकारा करता है,
कभी भाई, कभी दोस्त, कभी गुरूजी,
उसके होठों पर छाया करता है,
इतनी दिलकश यादें है, मन भर जाया करता है,
बस उसे सोचकर मन मुस्कराया करता है,
वो याद आया करता है….
वो याद आया करता है….. !!!