मेरा गांव
इन वादियों में आकर
लगता है अपनापन
देखकर नज़ारे यहां के
मचलता है दीवानापन
घुमड़ रहे है बादल
है ठंडी ठंडी हवा भी
बरसात के मौसम में
बारिश की ये फिज़ा भी
पंछियों के संगीत से
सुबह का आगाज़ होता है
देखो, आकर यहीं पर
स्वर्ग का आभास होता है
रहते हैं जो आज यहां पर
पूर्व जन्म में देवता रहे होंगे वो भी
तभी उनके व्यवहार में
देखो सादगी झलकती है आज भी
है अपनापन इतना कि
जाने का मन नहीं करता है यहां से
जब भी कोई आता है यहां
मन का सुकून लेकर ही जाता है यहां से
होता है सांझ का नज़ारा भी
बहुत अविस्मृत और अद्भुत यहां पर
भटकते है यहां वहां जिसके लिए
मन की वो शांति मिल जाती है यहां पर
चली रहती है एक होड़ सी
मेघ और सूरज के बीच यहां
बारिश और धूप का खेल
चलता रहता है हर दिन यहां।