मेरा गांव शहर बन गया
#मेरा_गाँव_अब_शहर_हो_गया।
————-रवि शंकर साह——-
मेरा गांव अब शहर हो गया।
पगडंडियाँ अब रही नहीं ,
चमचमाती सड़क बन गया है ।
शहर की चकाचौंध रोशनी में
गांव अपना खो गया है।
गांव की झोपडियां खो गई है ।
अब आलीशान महल बन गया है।
शान्ति अमन चैन का नाम नही।
हर तरफ गाड़ियों का शोर हो गया है।
जहाँ कभी भूत पिशाच और मुर्दे रहते थे,
वहाँ अब लोग रहने लगा हैं ।
मेरा गाँव अब शहर बन गया है।
गांव की प्यास बुझाने वाली नदी
अब शहर की नाली बन गई है।
रिश्ते और पानी में मिठास रहा नहीं,
सब खारे जल में बदल गई।
अब नदियाँ प्यास बुझाती नहीं,
उसका जगह मिनरल वाटर ने ले लिया
मेरा गांव अब शहर हो गया।
रहा नहीं वह अमवा की डाली,वो नीम का पेड़
जिसमें सबका बचपन बीता झुलाझुल
बचपन का वो स्कूल, खिलते थे जहां हर फूल
पुरखों के दिये ज्ञान, सब गए हैं सब भूल।
रिश्ते नाते चुभते हैं अब बनकर शूल।
गांव का वो पोखर अब रहा नहीं,
जी भरकर गोते लगाते थे जिसमें कभी।
अब सरपट दौड़ती रेलगाड़ी ने ले लिया है।
मेरा गांव अब शहर बन गया है।
मेरा गांव अब शहर बन गया है।
भूत बना वो बुढ़ा पीपल, न जाने क्यों रो रहा है
बिलखते, सिसकते वह भी कह रहा है
मेरा गांव अब शहर हो गया है।
पर्व त्योहार का वो नजारा थम सा गया है
शहरों की खुशबू में रम सा गया है
मेरा गांव अब शहर हो गया है।
मेरा गांव अब शहर हो गया है।
©®रवि शंकर साह
रिखिया रोड़, बलसारा, देवघर
झारखंड -814112