मेरा गाँव
मेरी हर धड़कन मेरी साँसों में बसता है,
मेरा गाँव मेरा गाँव मेरे दिल में रहता है।
झरने अपनी मौज में बहते सुर संगीत सजाते हैं,
अठखेली करते फूलों संग भौंरे गुनगुन गाते हैं,
चौपालों में शाम ढले नित ढोल-मंजीरा बजता है,
मेरा गाँव मेरा गाँव मेरे दिल में रहता है।।
बागीचे के बरगद पीपल फूलों की नाजुक डाली,
पंछी चहक उठे पेड़ों पर चढ़ते सूरज की लाली,
धानी चुनरिया ओढ़े धरती से अम्बर कहता है,
मेरा गाँव मेरा गाँव मेरे दिल में रहता है।।
मैं बैठा इस पार नदी के गोरी है उस पार,
बीच हमारे सिर्फ तरंगें नाव खड़ी मझधार,
पार लगाता माझी हमको, हमसे कहता है,
मेरा गाँव मेरा गाँव मेरे दिल में रहता है।।
देख के मुझको पेड़ों की डाली झुक जाती है,
पंक्षी कलरव करने लगते कोयल गीत सुनाती है,
देख मनोरम दृश्य गाँव का मन ये कहता है,
मेरा गाँव मेरा गाँव मेरे दिल में रहता है।।
मिल के होली-ईद मनाते साथ में गुजिया-सेवई खाते,
जुम्मन मंगरु के घर आते मंगरु जुम्मन के घर जाते,
जाति-धर्म का भेद नहीं बस प्रेम-मोहब्बत पलता है,
मेरा गाँव मेरा गाँव मेरे दिल में रहता है।
छूट गया घरबार मेरा सब रिश्ते-नाते छूट गये,
माँ-बाबा की यादें हैं बस घर-आँगन सब रुठ गये,
बियावान को देख मेरी आंखों से नीर टपकता है।
मेरा गाँव मेरा गाँव मेरे दिल में रहता है।।
होती है पहचान गाँव से गाँव हमारी थाती है,
पुरखे हैं पूजा की थाली घर दीया व बाती है,
गाँव धरोहर है हम सबकी “दीप” ये कहता है,
मेरा गाँव मेरा गाँव मेरे दिल में रहता है।।
मेरी हर धड़कन मेरी साँसों में बसता है,
मेरा गाँव मेरा गाँव मेरे दिल में रहता है।
दीपक “दीप” श्रीवास्तव
30 अप्रैल 2021